सौरव गांगुली बने प्रिटोरिया कैपिटल्स के हेड कोच: एक नई पारी की शुरुआत

सौरव गांगुली बने प्रिटोरिया कैपिटल्स के हेड कोच: एक नई पारी की शुरुआत



भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज क्रिकेटर सौरव गांगुली अब कोचिंग की दुनिया में कदम रख चुके हैं। दक्षिण अफ्रीका की मशहूर SA20 लीग की फ्रेंचाइज़ी प्रिटोरिया कैपिटल्स ने उन्हें अपना हेड कोच नियुक्त किया है। यह उनके करियर का पहला बड़ा कोचिंग रोल है और पूरे क्रिकेट जगत में इसे लेकर चर्चाएँ तेज़ हैं।


गांगुली यहाँ तक कैसे पहुँचे?

  1. खिलाड़ी से लेकर BCCI अध्यक्ष तक

    • भारतीय क्रिकेट को आक्रामक सोच और आत्मविश्वास देने वाले गांगुली ने कप्तानी के समय ही अपने "लीडरशिप स्किल" साबित कर दिए थे।

    • BCCI अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने IPL और घरेलू क्रिकेट को मज़बूती दी।

  2. कोचिंग में नई शुरुआत

    • गांगुली ने कभी IPL या घरेलू स्तर पर कोचिंग नहीं की थी।

    • SA20 लीग में यह उनका पहला अनुभव है और सभी की नज़रें इस पर हैं कि "दादा" मैदान के बाहर कितने असरदार होंगे।


प्रिटोरिया कैपिटल्स और साउथ अफ्रीका की सोच

  • प्रिटोरिया कैपिटल्स (जिसके मालिक दिल्ली कैपिटल्स ग्रुप हैं) हमेशा से ही भारतीय कनेक्शन रखना चाहती थी।

  • गांगुली जैसे बड़े नाम को लाना उनकी रणनीति का हिस्सा है ताकि टीम को अनुभव, ग्लोबल ब्रांड वैल्यू और भारतीय फैन बेस मिले।

  • साउथ अफ्रीका का क्रिकेट बोर्ड भी चाहता है कि SA20 लीग को IPL की तरह लोकप्रियता मिले। गांगुली का जुड़ना उस दिशा में एक बड़ा कदम है।


गांगुली कितने असरदार साबित होंगे?

  1. लीडरशिप और रणनीति

    • गांगुली ने भारत को आक्रामक सोच दी थी, वही माइंडसेट प्रिटोरिया कैपिटल्स के खिलाड़ियों में भी डाल सकते हैं।

  2. यंग टैलेंट का ग्रूमिंग

    • गांगुली हमेशा से युवा खिलाड़ियों पर भरोसा करते आए हैं। SA20 में अफ्रीका और दूसरे देशों के नए खिलाड़ियों को उनसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा।

  3. फ्रेंचाइज़ी का फायदा

    • गांगुली की मौजूदगी से न सिर्फ टीम मजबूत होगी बल्कि लीग की लोकप्रियता भी भारत और एशिया में बढ़ेगी।


साउथ अफ्रीका की प्रतिक्रिया

  • दक्षिण अफ्रीकी मीडिया ने गांगुली की नियुक्ति को "बड़ी उपलब्धि" बताया है।

  • वहाँ के एक्सपर्ट मानते हैं कि गांगुली की एग्रेसिव रणनीति से SA20 को नया आयाम मिलेगा।

  • कई खिलाड़ियों ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि वे "दादा" से सीखने को लेकर उत्साहित हैं।


भारत को क्या नुकसान हो सकता है?

  1. BCCI और IPL में भागीदारी की कमी

    • गांगुली अब IPL या भारतीय क्रिकेट प्रशासन से सीधे नहीं जुड़े होंगे। इसका मतलब है कि उनका अनुभव फिलहाल SA20 के लिए इस्तेमाल होगा, भारत के लिए नहीं।

  2. युवा भारतीय खिलाड़ियों का Exposure

    • अगर भविष्य में भारतीय खिलाड़ी SA20 में खेलने लगे तो गांगुली का फोकस विदेश में भारतीय टैलेंट को गाइड करने पर ज़्यादा हो सकता है।

  3. IPL की टक्कर

    • गांगुली जैसे दिग्गज का जुड़ना SA20 की पोज़िशन मज़बूत करेगा। इससे IPL को एक हल्की चुनौती मिल सकती है, खासकर दर्शकों और स्पॉन्सरशिप के मामले में।


प्रिटोरिया कैपिटल्स के पहले हेड कोच कौन थे?

  • पिछले हेड कोच: जोनाथन ट्रॉट (Jonathan Trott)

    • इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज़।

    • SA20 लीग के पहले तीन सीज़न में (2023, 2024, 2025) प्रिटोरिया कैपिटल्स के हेड कोच थे।

    • उनकी कोचिंग में टीम 2023 के पहले सीज़न में फाइनल तक पहुँची थी, लेकिन चैंपियन नहीं बन पाई।

    • उसके बाद टीम का प्रदर्शन औसत रहा और स्थिरता नहीं दिखा पाई।


इस बार सौरव गांगुली को क्यों लाया गया?

  1. नई ऊर्जा और आक्रामक सोच

    • जोनाथन ट्रॉट एक अच्छे तकनीकी कोच थे, लेकिन उनमें “आक्रामक और नेतृत्व वाली सोच” उतनी नहीं थी।

    • गांगुली की कप्तानी शैली हमेशा आक्रामक और फ्रंट-फुट पर खेलने वाली रही है। फ्रेंचाइज़ी को अब वही माइंडसेट चाहिए।

  2. ब्रांड वैल्यू और ग्लोबल इमेज

    • गांगुली सिर्फ क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक “क्रिकेट आइकन” हैं।

    • उन्हें हेड कोच बनाने से टीम और पूरी लीग की लोकप्रियता भारत और एशिया में बहुत बढ़ जाएगी।

    • SA20 लीग IPL जैसी पहचान चाहती है, और गांगुली उस दिशा में बड़ा चेहरा साबित होंगे।

  3. युवा खिलाड़ियों की ग्रूमिंग

    • गांगुली को जाना जाता है नए टैलेंट खोजने और उन्हें बड़ा बनाने के लिए (जैसे धोनी, युवराज, हरभजन, जहीर आदि को उन्होंने मौका दिया)।

    • प्रिटोरिया कैपिटल्स के पास कई युवा अफ्रीकी और विदेशी खिलाड़ी हैं जिन्हें गांगुली जैसा मेंटर चाहिए।

  4. मालिकाना कनेक्शन (Delhi Capitals Group)

    • प्रिटोरिया कैपिटल्स के मालिक दिल्ली कैपिटल्स (IPL) वाला ही ग्रुप है।

    • गांगुली IPL में दिल्ली कैपिटल्स के साथ पहले से कनेक्टेड रहे हैं।

    • इसी वजह से उन्हें SA20 में भी लाना मैनेजमेंट के लिए आसान और भरोसेमंद रहा।

  5. जोनाथन ट्रॉट की सीमाएँ

    • ट्रॉट के साथ टीम का ग्राफ़ ऊपर नहीं जा रहा था।

    • मैनेजमेंट को लगा कि अब बड़ा बदलाव लाने का वक्त है।


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