1932 टेस्ट: जब भारत ने टेस्ट क्रिकेट में रखा पहला कदम

1932 Lord's Test: When India took its first step in Test cricket | 1932 लॉर्ड्स टेस्ट: जब भारत ने टेस्ट क्रिकेट में रखा पहला कदम



भारत का टेस्ट क्रिकेट सफर 25 जून 1932 को शुरू हुआ। यह सिर्फ एक मैच नहीं था, बल्कि भारत के क्रिकेट इतिहास की नींव थी। इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर भारत ने अपना पहला आधिकारिक टेस्ट खेला। भले ही भारत वह मैच हार गया, लेकिन उस मैच में जो आत्मबल और क्षमता दिखाई गई, उसने पूरी दुनिया को बता दिया कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है।

इस लेख में हम जानेंगे:

  • भारत का पहला टेस्ट मैच कब और कहां खेला गया

  • उस मैच में भारत की प्लेइंग इलेवन कौन थी

  • भारत का प्रदर्शन कैसा रहा

  • कौन खिलाड़ी चमके

  • भारत कितने रनों से हारा और क्यों


भारत का पहला टेस्ट मैच: मुख्य जानकारी

विवरणजानकारी
तारीख25-28 जून 1932
स्थानलॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड, लंदन
प्रारूपटेस्ट क्रिकेट
विरोधी टीमइंग्लैंड
भारत का कप्तानसी.के. नायडू
परिणामइंग्लैंड ने भारत को 158 रन से हराया

भारत की पहली टेस्ट प्लेइंग XI (1932)
क्रमखिलाड़ी का नामभूमिका
1सी.के. नायडूकप्तान, बल्लेबाज़
2जहार खानतेज गेंदबाज़
3मोहम्मद निज़ामुद्दीनविकेटकीपर
4जनरैल सिंहऑलराउंडर
5एम.जे. गोपालस्पिन गेंदबाज़
6अमरनाथ (लाला अमरनाथ नहीं)बल्लेबाज़
7सोराबजी कोलाहऑलराउंडर
8वज़ीर अलीओपनिंग बल्लेबाज़
9दिलावर हुसैनविकेटकीपर बल्लेबाज़
10मुस्ताक अली (इस मैच में नहीं खेले, रिज़र्व में थे)
11नवाब पटौदी सीनियरबल्लेबाज़

यह मैच 3 दिन चला क्योंकि 26 जून को रविवार था और टेस्ट मैचों में उस समय रविवार को खेल नहीं होता था।

मैच का विवरण

इंग्लैंड की पहली पारी: 259 रन

  • इंग्लैंड के लिए डगलस जार्डिन और ब्रायन वाल्ली ने बढ़िया बल्लेबाज़ी की।

  • भारत की ओर से मोहम्मद निज़ामुद्दीन ने 4 विकेट लिए।

भारत की पहली पारी: 189 रन

  • सी.के. नायडू ने तेज़ 24 रन बनाए और एक छक्का जड़ा जिससे दर्शक रोमांचित हो उठे।

  • सोराबजी कोलाह ने 33 रन बनाए, जो भारत की ओर से सर्वोच्च स्कोर रहा।

  • इंग्लैंड के बाउडेन ने भारत के 4 विकेट लिए।

इंग्लैंड की दूसरी पारी: 275/8 (डिक्लेयर)

  • इंग्लैंड ने तेज़ी से रन बनाकर पारी घोषित की ताकि भारत को लक्ष्य दे सकें।

भारत की दूसरी पारी: 187 रन (ऑलआउट)

  • लक्ष्य था: 346 रन

  • भारत 158 रन से हार गया।


भारत की हार के कारण

  1. अनुभव की कमी: यह भारत का पहला मैच था, जबकि इंग्लैंड अनुभवी टीम थी।

  2. तेज़ गेंदबाज़ी का सामना: इंग्लैंड के पेस अटैक के सामने भारतीय बल्लेबाज़ टिक नहीं पाए।

  3. मौसम और पिच का फर्क: लॉर्ड्स की कंडीशंस भारतीय खिलाड़ियों के लिए नई थीं।

  4. फील्डिंग में चूक: भारत ने कुछ कैच छोड़े और रन आउट के मौके गंवाए।


सी.के. नायडू: पहले टेस्ट के भारतीय हीरो

  • कैप्टन साहब के नाम से प्रसिद्ध, नायडू साहब ने गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी दोनों में लीड किया।

  • उन्होंने इंग्लिश कप्तान को क्लीन बोल्ड किया और अपने छक्के से सभी को प्रभावित किया।


इस टेस्ट की ऐतिहासिक विशेषताएं

  • भारत बना दुनिया का छठा टेस्ट खेलने वाला देश (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड के बाद)।

  • इस मैच को देखने के लिए लॉर्ड्स में 24,000 से ज़्यादा दर्शक थे।

  • भारतीय खिलाड़ियों की शालीनता और संघर्ष की भावना की इंग्लिश मीडिया ने भी तारीफ की।


1932 लॉर्ड्स टेस्ट: सिर्फ एक मैच नहीं, आत्म-सम्मान की लड़ाई

1. गुलामी के दौर में मिली खेलने की इजाज़त

जब भारत ने 1932 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया, तब देश आज़ाद नहीं था। अंग्रेज़ों के शासन में भारतीय खिलाड़ी उस ज़मीन पर खेले जिस पर उनके देश को ही दबाया जा रहा था। ऐसे में लॉर्ड्स पर भारतीय झंडा नहीं, ब्रिटिश यूनियन जैक फहरा रहा था।

उनके सामने बैठे हज़ारों अंग्रेज दर्शक, कुछ उनकी हिम्मत की सराहना कर रहे थे, तो कुछ केवल उनकी हार का इंतज़ार कर रहे थे।


2. 25,000 दर्शकों के सामने दबाव

लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में उस दिन करीब 25,000 दर्शक मौजूद थे — उनमें से अधिकतर इंग्लैंड समर्थक थे। भारत के खिलाड़ियों पर एक बड़ा मानसिक दबाव था:

  • पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना

  • विदेशी पिच, विदेशी दर्शक

  • अपने देश की इज़्ज़त का सवाल

3. खिलाड़ियों की तैयारी कैसे थी?

भारत की टीम के खिलाड़ी कोई पेशेवर या ट्रेनिंग कैंप से निकले युवा नहीं थे। अधिकतर खिलाड़ी राजसी घरानों, कॉलेज क्लब या सेना से आए थे। किसी के पास इंटरनेशनल एक्सपीरियंस नहीं था।

  • C.K. नायडू एक रियासत के अधिकारी थे।

  • वज़ीर अली और नवाब पटौदी सीनियर नवाबी खानदान से थे।

  • कई खिलाड़ियों ने पैसे खुद खर्च करके इंग्लैंड आने की तैयारी की थी।

फिर भी, उन्होंने मैदान में डटकर मुकाबला किया।


4. खेल से ज़्यादा देश की छवि का सवाल

यह सिर्फ एक मैच नहीं था — यह भारत की योग्यता और आत्म-सम्मान को साबित करने का मंच था।
जब C.K. नायडू ने इंग्लैंड के सबसे खतरनाक गेंदबाज़ को लॉर्ड्स के पवेलियन की छत पर छक्का मारा, पूरा मैदान कुछ पलों के लिए खामोश हो गया... और फिर तालियों से गूंज उठा।

ये उस समय का संकेत था कि भारत ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है।


5. प्रेस और जनता की प्रतिक्रिया

  • The Times of London ने लिखा:
    "The Indians lost, but they fought like gentlemen."

  • इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड ने भी भारत के अनुशासन, शिष्टाचार और खेल भावना की प्रशंसा की।

  • भारत में अखबारों ने इसे "देश की पहली अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि" कहा।

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